महिलाओ ने वट पूजन करके पति के दीर्घायु होने की कामना
लोकेशन - मछरेहटा / सीतापुर सोमवती अमावस्या को सौभाग्यवती महिलाओ ने व्रत रखकर वटवृक्ष की पूजा की और पति के दीर्घायु होने की कामना की । वट पूजन की यह परंपरा सनातन धर्म मे अनादि काल से चली आ रही है । महाभारत के वन पर्व के अनुसार राजा अश्वपति की परम सुंदरी कन्या सावित्री ने साल्व देश के राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान को पति के रूप मे वरण किया । उसी समय देवर्षि नारद ने बताया कि सत्यवान की आयु अत्यंत अल्प है उसका वरण करना उचित नही है । सावित्री ने उत्तर देते हुए कहा कि पतिव्रता स्त्री एक ही बार पति का वरण करती है और मै अपनी बात पर अटल हूं । काफी समय बीतने के बाद दुर्भाग्य से राजा द्युमत्सेन का राज्य विरोधी राजाओं के द्वारा हड़प लिया गया और वे निर्वासित कर दिए गए । वन मे भटकते हुए एक दिन सावित्री अपने पति के साथ वृक्ष के नीचे बैठी थी और सत्यवान उसकी गोद मे सिर रखे सो रहा था । अपने सामने यमराज को आते देख उसे देवर्षि नारद की भविष्यवाणी याद आ गई । यमराज सत्यवान के प्राण लेकर चल दिए । सावित्री ने भी उनका अनुगमन किया । यमराज ने सावित्री को तरह तरह के उपदेश और विधि के विधान को अटल