अफसरान का रहमोकरम,जनता की जान का सौदा,सील अवैध अस्पताल की सील खुली

2 बार सील होने के बाद भी नही आ रहे बाज।

क्या सीएमओ या पसगवां अधीक्षक की मेहरबानी से होता है जादू?

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रुद्राक्ष मिश्रा की रिपोर्ट

पिछले दिनों जंग बहादुर गंज और बरखेरिया जाट के कुछ अस्पतालों में मानक पूरे न होने पर सील लगाई गई थी जिनमें से सिंह हॉस्पिटल की सील अलौकिक रूप से खुल चुकी है मरीज भर्ती है इलाज भी जारी है , सील के समय फर्जी बताये गए अस्पताल कुछ ही दिन बाद कैसे जायज हो गए है इसे लेकर इलाके में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है।

हालत यह है कि दूसरे क्षेत्रों से भी आकर फर्जी डॉक्टरों द्वारा सल्लिया क्षेत्र में अस्पताल खोलने की होड़ सी मची हुई है। वही मरीजो का केस बिगडऩे के बाद जहाँ हंगामा होने पर कोई अधिकारी आकर मात्र खानापूर्ति कर चले जाते है और एक या दो सप्ताह बाद यह चिकित्सक फिर उसी ढर्रे पर लौट आते है पुलिस भी आती है लेकिन मामला सुलह समझौता और ले देकर सुलझा दिया जाता है।


जिम्मेदारों की भूमिका भी सवालों के घेरे में✍️

अवैध अस्पताल और पैथ लैब धड़ल्ले से रोड के किनारे बड़े बड़े साइन बोर्ड लगाकर चल रहे है ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को जानकारी नहीं है। लेकिन, जानकारी होने के बाद भी जिम्मेदार अनजान बने हैं। इसी का नतीजा है कि आए दिन ऐसे अस्पतालों और झोलाछापों के उपचार से किसी न किसी की जान चली जाती है। जब इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात की जाती है तो जिम्मेदार ऐसे अस्पतालों को नोटिस जारी करने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं। ऐसे अस्पताल सील करने के दो-चार दिन बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के रहमदिली के चलते फिर से खुल जाते हैं।

कुछ दिन बाद ही खुल गया बेसमेंट में चल रहा सील अस्पताल

कुछ दिन पहले अधीक्षक साहब ने सल्लिया और बरखेरिया के कुछ अस्पतालों में छापेमारी की थी। इस दौरान उन्होंने बिना पंजीकरण के अस्पतालों को संचालित पाया। जिसमें सिंह हॉस्पिटल, बालाजी हॉस्पिटल और सिटी हॉस्पिटल में भी खामियां मिलीं थीं। साथ ही सिंह हॉस्पिटल और सिटी हॉस्पिटल बेसमेंट में संचालित हो रहे थे जिनको सील किया गया था लेकिन, दो-तीन दिन के बाद ही नर्सिंग होम दोबारा से खुल गया और अधिकारियों ने आज तक नर्सिंग होम पर आगे की कोई कार्रवाई नहीं की अब सवाल यह भी है की सील अस्पताल में मरीज और डॉक्टर पार्टी करने तो जाते नही होगें भाई इलाज ही तो होता होगा।

रात के अंधेरे में बाहर से आए सर्जन करते है मरीजों का ऑपरेशन और बड़ी गाड़ियां हो जाती है फुर्र 

सूत्रों और मौजूद साक्ष्यों की तरफ ध्यान दिया जाए तो बाहर से आए डॉक्टरों(नाम गोपनीय) द्वारा रात के अंधेरे में मरीजों का ऑपरेशन किया जाता है बाकी दिन की रौशनी में भी अस्पताल में चहलकदमी देखने को मिलती है।

खबर का अंत यह लिखने से नही होने वाला की देखना होगा कि अधीक्षक और सीएमओ साहब इसपर क्या कार्यवाही करेंगे क्युकी यह खेल सभी को पता है।

यमपुरी बन गया है सल्लिया और बरखेरिया में अवैध अस्पतालो का गैंग 

यमदूत के रूप में तैयार रहता है बेलगाम झोलाछाप स्वास्थ्य अमला

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यमपुरी का नाम सुनकर अच्छे अच्छों की हालत गंभीर हो जाती है। कुछ इसी तरह के हालात बरखेरिया में अवैध अस्पताल के बन गये हैं। इन अवैध अस्पताल में आने के बाद वह लोग बहुत खुश किस्मत होते हैं जो सकुशल घर को वापस लौट पाते हैं हालांकि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम होती है। जब से बरखेरिया में अवैध अस्पताल प्रारंभ हुआ है और आज तक के परिदृश्य पर यदि नजर डालें तो दस्तावेज ही बताते हैं कि यहां आने वाले अधिकांश मरीजों के यमपुरी जाने की फुल गारंटी होती है लेकिन उनको हालत बिगड़ने पर रेफर वाला फार्मूला लगाया जाता है। जिन अधिकारियो और मेडिकल स्टाफ द्वारा संरक्षण प्राप्त होता है,वह आम जनता की जिंदगी बचाने के लिए होती है,लेकिन वही यमपुरी के यमदूत बनकर लोगों को काल के गाल में पहुंचाने का कमाल करते हैं। रोज डॉक्टरी लापरवाही के चलते अस्पताल होते हुए यमपुरी पहुंचने का सिलसिला अवैध अस्पतालो का जारी रहता है। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने का दावा करने वाली सरकारों को इतना ध्यान देना चाहिए कि कम से कम अवैध अस्पताल एवं झोलाछाप डॉक्टरों के ऊपर कार्यवाही करनी चाहिए लेकिन जेबें गर्म करना भी तो कोई चीज होती है भाई *बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया*,कहीं अस्पताल यमपुरी में तब्दील न हो जाएं।

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