काले हीरे की नगरी कहे जाने वाले इस शहर में नहीं रुक रहा अवैध उत्खनन, जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर खा रहे मोटी मलाई*
लोकेशन:- एमसीबी/ छत्तीसगढ़
संवाददाता :- सुरेश कुमार
एमसीबी - छत्तीसगढ़ राज्य अंतर्गत आने वाला एक ऐसा क्षेत्र जिसे काले हीरे की नगरी के नाम से जाना जाता है आपको बता दें कि यह क्षेत्र और कोई नहीं वो है चिरमिरी जो कि मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले का एकमात्र नगर पालिक निगम है जो विगत कई सालों से या कहें कि ब्रिटिश जमाने से भारत के कोने कोने में कोयले पहुंचाने का कार्य करता रहा है जहां के गर्भ में आज भी अरबो टन कोयला मौजूद है। विडंबना यहां पर यह है कि यहां अवैध उत्खनन के कार्यों का काम सालों से खुलेआम मनमाने तरीके से जमीन की दोहन करते हुए हो रहा है चाहे वह खनिज संपदा को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। स्थानीय पत्रकारों द्वारा कई बार इन तथ्यों को लेकर खबर चलाया गया है इसके बावजूद अवैध ईटा भट्टा कोयला उत्खनन एवं कीमती वृक्षों की कटाई लगातार जारी है जहां पर जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा इन पर कार्यवाही ना करना जिससे इस अवैध उत्खनन करने वाले संचालकों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। इस वजह से वन एवं खनिज विभाग को हर साल लाखों से लेकर करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि होती है साथ ही पर्यावरण भी दूषित हो रहा है आपको बताते चलें कि शासकीय व निजी भूमि का खनन कर संचालक विभागीय औपचारिकताएं चिरमिरी के जंगलों से अवैध खनन करके अवैध तरीके से संचालन कर रहे हैं। इसी के दरमियां वन परीक्षेत्र चिरमिरी के अंतर्गत आने वाला नवापारा नेपाली डैम लगे हुए जंगल के बीच चट्टान के नीचे से अवैध कोयला बड़ी व प्रचुर मात्रा में निकालकर वाहन के माध्यम से ईंट भट्टों में पहुंचाया जा रहा है ऐसा लगता है कि मानो इनको किसी का डर नहीं है और रही बात नियमों की तो जैसा इनका कार्य से हो रहा है उस हिसाब से तो यह साफ स्पष्ट होता है कि यह अवैध खनन करने वाले माफिया नियमों को अपनी जेब में रख कर चलते हैं। जहां एक और कोर्ट के द्वारा अवैध उत्खनन करने वालों पर रोक लगाने एवं कार्यवाही करने के आदेश जारी किए गए हैं वहीं पर इस तरीके का कार्य प्रणाली साफ-साफ कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाता हुआ दिख रहा है आपको बता दें कि 2013 में शासन द्वारा कोर्ट के आदेश से लाल ईटो पर प्रतिबंध कर दिया गया है जिसके बावजूद शासन के निर्देशों की यहां पर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अगर बात की जाए शासन की इस आदेश की तो जिम्मेदार अधिकारियों को हो रहे इस कृत्य पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी मौन बैठे हैं और लाल ईंटों का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है कहना गलत नहीं होगा कि जिले में कई ऐसे अधिकारी आए हैं चाहे वह माननीय एसडीएम की बात करें या तहसीलदार की बात करें या फिर खनिज विभाग वन विभाग की बात करें सभी अधिकारियों की मौजूदगी के बाद भी अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने में असमर्थ सा दिख रहा है। वहीं सूत्रों के हवाले से पता चला है कि माफियाओं के द्वारा जिले के बाहर कोयला का संचालन सुचारु रुप से किया जा रहा है एवं उनके द्वारा सभी अधिकारियों को उनकी अनियमितताओं की एवज में मोटी की चद्दर समान मोटा कमीशन रिश्वत के रूप में सप्रेम भेंट ऐसे भ्रष्ट अधिकारी जो कि कमीशन की भेंट चढ़ती जा रहे हैं जो इस तरीके का कार्य पर अंकुश न लगा कर अपने कर्तव्य से विमुख हो रहे हैं और ऐसे कारोबारी का साथ देकर अवैध कारोबार को बढ़ा रहे हैं अब आप ही बताइए कि ऐसे लोगों पर कार्रवाई की क्या उम्मीद रखें। क्या लगातार ऐसा क्यों होते रहेगा या कोई जिम्मेदार जनप्रतिनिधि अधिकारी कभी इन अवैध उत्खनन कार्यों पर रोक लगाकर प्राकृतिक संपदा को हो रही क्षति को बचा पाएंगे।
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