औरैया में भगवान कृष्ण के प्रेम में मीरा बनी औरैया की युवती*
कान्हा की मूर्ति संग सात फेरे लेकर रचाई शादी
मंत्रोचार के बीच निभाई गई विवाह की रस्में
ब्यूरो राजकिशोर पोरवाल
बिधूना/औरैया। जनपद के बिधूना कस्बा की एक युवती रक्षा जिसे आज की मीरा कहा जा सकता है। उसने भगवान कृष्ण के साथ विवाह किया है। माता-पिता समेत पूरे परिजनों की मौजूगी में बेटी ने श्रीकृष्ण की प्रतिमा के साथ सात फेरे लिए हैं। पूरा परिवार श्रीकृष्ण को अपना जमाई बनाकर प्रसन्न है। बिधूना में कृष्ण भक्ति में मीरा बनी रक्षा ने कान्हा जी से शादी रचाई। अनुठी शादी की मंत्रोचार के बीच रस्मे निभाई गई।
जनपद के बिधूना कस्बे में भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में मीरा बनी युवती रक्षा सोलंकी ने परिजनों की सहमति से रस्मों रिवाजों के साथ डीजे बैंड की स्वर लहरियों के बीच कान्हा जी के साथ भांवरें लेकर जीवन भर के लिए उनकी अर्धांगिनी बनकर लोगों को हैरत में डाल दिया है। इस अनूठी शादी में वधू के माता-पिता द्वारा बारातियों की भी खुशामद किये जाने के साथ भेंट स्वरूप नजरें दी गयी और रिश्तेदारों समेत सभी को दावत दी गई व रस्म रिवाजों की अदायगी के बाद विधिवत कान्हा जी की मूर्ति के साथ वधू की विदाई भी की गई। बिधूना कस्बे के भरथना रोड निवासी एवं श्री भगवान दास इंटर कॉलेज हरचंदपुर के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य व कवि रणजीत सिंह सोलंकी की लगभग 31 वर्षीय पुत्री रक्षा सोलंकी बांके बिहारी कान्हा जी की भक्ति में ऐसी मीरा बनी की उसने अपने माता-पिता की सहमति से भगवान श्री कृष्ण की अर्धांगिनी बनकर जिंदगी बिताने का संकल्प लेकर श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ गत दिवस शादी भी रचा ली है। इस अनूठी शादी में पंडित रूद्रेश शुक्ला द्वारा मंत्रोचार के बीच रक्षा सोलंकी व भगवान श्री कृष्ण के विवाह की रस्में अदा कराए जाने के साथ भांवरें भी डलवाई गई। वर बने कान्हा जी की मूर्ति चांदी का मुकुट, चांदी की बांसुरी, सोने की चैन, सोने की अंगूठी, सोने के कुंडल, चांदी की पैजनिया, चांदी की चरण पादुकाएं भी धारण किये हुए थी। वधू रक्षा सोलंकी द्वारा स्वयं कान्हा जी के हाथों में मेहंदी लगाई गई थी। वहीं शादी की परम्पराओं के मुताबिक दूल्हा-दुल्हन के मांग में सिंदूर लगाता है, लेकिन इस शादी में रक्षा सोलंकी द्वारा स्वयं कान्हा जी की चंदन से मांग भरी गई। भगवान श्रीकृष्ण की बहू बनी रक्षा सोलंकी के लिए भी उनके माता-पिता द्वारा सोने का मंगलसूत्र व चांदी की पायलें भी अर्पण की गई थी। इस अनूठी शादी में वधू के परिजनों द्वारा बेटी के हाथ पीले करने की व वधू के भाई आनंद सोलंकी द्वारा भाई वाली भी रस्में निभाई गई। वधू के परिजनों द्वारा भगवान श्री कृष्ण के बारातियों के साथ रिस्तेदारो की भी आवभगत कर उन्हें भोज भी दिया गया। भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन उनकी वधू बनीं रक्षा सोलंकी की भगवान कान्हा की मूर्ति के साथ कार से विदाई की गई। शादी की रस्मों रिवाजों के दौरान श्री कृष्ण के भजन व मंगल गीत भी गाये गये। परिजनों ने बताया है कि गत जुलाई माह में रक्षा सोलंकी मथुरा वृंदावन गई थी, तभी वह वहां भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में इतनी लीन हो गई और सारा जीवन कान्हा जी को सौंपने का निर्णय लिया। इस हैरतअंगेज शादी के सैकड़ों लोग गवाह बने हैं। इसके साथ ही कान्हा संग युवती की शादी आकर्षण का केंद्र बनी रही।
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