एक तरफ प्रकृति का कहर दूसरी तरफ नहर विभाग कर रहा मनमानी।





शारदा नहर हरदोई लखनऊ ब्रांच- पंकज कुमार राठौर :-  खरीफ फसलों में होने वाले धान की रोपाई के लिए पानी की नितांत आवश्यकता है जो नहर या प्राकृतिक वर्षा माध्यम से पूर्ण होती है । किसान बंधु दिन प्रतिदिन नहर की आस लगाए बैठे हैं लेकिन नहर में पानी आधा छोड़ा जा रहा है जो किसानों के किसी हित का नहीं है दिन प्रतिदिन धान रोपाई विलंब होती जा रही है जबकि धान  की नर्सरी पूर्ण रूप से तैयार हो चुकी है। हमारा देश कृषि प्रधान देश होते हुए भी कृषि की व्यवस्थाएं पूर्ण रूप से किसानों के लिए हितकर नहीं हो पा रही है।  पानी की किल्लत सदैव बनी ही रहती है आखिर कब तक किसान नहर की रास्ता देखता रहे नहर के आसपास वाले क्षेत्रों में अधिकतर धान की ही पैदावार होती है अगर धान विलंब हो गया तो उपज में कमी आती है एक तरफ कोरोना के कारण आर्थिक स्थिति से जूझ रहा किसान दूसरी तरफ कृषि से अगर अच्छी उपज ना मिली तो किसान की हालत क्या होगी।

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